
जब प्रोत्साहन,महत्व,सम्मान रूपी खाद-पानी अच्छा मिले तो,संस्कृति की फसल रूपी संवाहक,कलाकारों की नई डाली अवश्य उगेगी।
नमस्कार आप सभी को अंग्रेजी नववर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं।
संस्कृति व रीति-रिवाजों के लिए हमें किसी मंत्रालय की आवश्यकता ही नही होगी,अगर हम इससे संबंधित पर्वों,त्योहारों को बड़े धूम-धाम से मनाएं व लोक-
कलाकारों,ढोल-दमाऊ,छोलिया नृत्य,रणसिंहा,जागर,झोड़ा-छपेली आदि बहुत सी परम्पराओं का सम्मान व निर्वहन करते रहें व साथ में अपने बच्चों को इनके प्रति लगाव को लेकर बेहतर तरीके से काम करते रहे।
बहुत खुशी होती है जब संस्कृति से जुड़े बाल कलाकार किसी आयोजन में दिखाई देते हैं व उनकी अद्भुत कलाकारी का लोग आनंद ले रहे होते हैं व साथ में बहुत से समझदार लोग प्रोत्साहन,उत्साह रूपी खाद पानी से उन्हें सींचते हैं।
क्षेत्र के प्रसिद्ध माँ भगवती कालिंका मंदिर के नव-निर्माण अनुष्ठान में पहुंचे,बाल-कलाकार रोशन दास 9-वीं कक्षा में पढ़ते हैं व साथ में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अपनी कला व संस्कृति को बचाए रखने के लिए तत्पर है।
धन्यवाद उन सभी नौजवान कलाकारों(औजी,जगरी,छोलिया नृतक,आदि) का जो आधुनिक युग में,(साथ में बहुत से जनों ने ऊंची शिक्षा भी ले रखी होगी)
अपने कर्तव्यों,अपनी परंपराओं को निभा रहे हैं।
राजनीतिक दल,सरकारें कभी भी इन विषयों पर नीतियां नही बनाते,वे केवल वोट बैंक के लिए संस्कृति के धागे में जुड़े लोगों का वर्गीकरण करते हैं।
हम सभी को अपनी संस्कृति को बचाना होगा इसके लिए हमें लोक-कलाकारों का सम्मान करना होगा,उन्हें प्रोत्साहन देना होगा,उन्हें उनके कार्यों का महत्व बताना होगा,उनके जीविकोपार्जन(पेशा) का सम्मान करना होगा।
नही तो यह बहुत ही शीघ्र होगा-नजीबाबादै इफ्तिखार हुसैन बैंड बाजौं मां बढ़ै बजाणो च।
"धन्यवाद"